तेरे बिछडने का गम इस कदर है,क्या कहिये
लब पे झलक तब्बस्सुम की मगर है,क्या कहिये.
कभी कभी रो लेते हैं और चुप भी रह्ते है,
इश्क़ मैं कहाँ ऐसा जिगर हैं क्या कहिये.
कहाँ जाये हर सिम्त उदासियो मे साये हैं
आहो-फुंगा का भी कहाँ असर हैं क्या कहिये.
ज़िन्दगी वो शब-ए-गम हैं, इलाज क्या,
इसकी होती ही नहीं ,सहर है क्या कहिये.
दिल-ए-शजर कब से मुंतज़िर हैं तेरे बहार का
पेडो का भी कुछ अपना हुनर हैं,क्या कहिये.
ज़िन्दगी मे आदमी कितने ही बार मरता हैं,
अब ये दिल भी गया बिखर हैं, क्या कहिये.
खुशी ही ऐक लफ्ज़ ,जो बेमानी हैं ,
तेरी हर बात बिखरती गुहर हैं,क्या कहिये.
ज़िन्दगी की अजब हैं ये रस्म ओ रिवाज.
पल मे ही हो गये दिगर हैं क्या कहिये.
इश्क़ का मुकद्दर हैं,कि भटकना है तुझे
फिर खूद ये अपना राहबर है,क्या कहिये.
मुहब्बत अपनी इक मंज़िल थी पहले
अब तो मुसलसल सफर हैं क्या कहिये.
कितने कम उसके,कितने लम्बे मेरे दिन-रात
कैसा अजब वक़्त का असर हैं,क्या कहिये.
तकाज़ा हमे भी कहाँ था, क्या करते ,
हुइ मुहब्बत तुमसे इस कदर हैं, क्या कहिये.
पुछ लो हवाओ से,फज़ा से,और खुदा से,
तुम्ही पहली तमन्ना,तुम्हे कब खबर हैं,क्या कहिये.
तेरी जुदाइ का रंज मुझे ही नहीं बल्कि,
सारा का सारा घर दिवार-ओ-दर हैं क्या कहिये.
पसे-गज़ल इसमे फकत तुम ही हो ,
तुम्हे क्यों खबर हो,कौन मगर हैं क्या कहिये
मैं तो समझा था तेरे जाने से मर जायेंगे
पर हो रहा युँ ही गुजर बसर हैं क्या कहिये.
बेसबब कह्ते हैं दुआओँ मे असर होता हैं
हमने भी आज़माया कहाँ असर हैं क्या कहिये.
जब से इंतज़ार हैं,इंतज़ार हैं आज भी ,
गिला क्या जो अपना मुकद्दर हैं क्या कहिये.
ये गज़ल पैगाम हैं “यास” का तुम्हारे लिये,
आये तो ठीक,वर्ना गज़ल बेअसर हैं क्या कहिये.
सुमित शर्मा “यास”
7 टिप्पणियां:
आरंभ है प्रचंड
wah kya baat hai bhai ji wah wah sach me..kya kahiye...
अच्छी शुरुआत..शुभकामनायें.शब्द-पुष्टिकरण हटालें तो अच्छा हो...
Bahoot khoobsoorat gazal hai janaab. lajawaab sher
dil, khush kar diya bhai aap ne kya kahe aap ko swagat hai aap ka dil ki awaz hai man ki awaz hai aap ka fan ban gaya hu mai to
mujhe bhi aap apne sharan mai le lizye.
shabdo me bayan karna behad mushkil hai ki aapki gazal wakai lajawaab hai.
Tahe dil se badhai sweekar karen.
achchha likha hai balak,aaysman bhav. narayan narayan
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